पिरामल ग्रुप ने डीएचएफएल का अधिग्रहण किया, लेनदारों का चुकाया ३४ हजार करोड़
जानी मानी औद्योगिक समूह पिरामल इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने एक समय देश की तीसरी सबसे बड़ी वित्तीय एनबीएफसी कही जानेवाली डीएचएफएल का विलय करवा लिया है।
पिरामल समूह की पिरामल कैपिटल एंड होसिंग फाइनेंस कम्पनी का विलय डीएचएफएल में रिवर्स मर्जर के तहत होगा। इससे पहले लेनदारों को पिरामल ने ३४२५० करोड़ चुकाए हैं। इतनी कीमत के इक्विटी शेयर डीएचएफएल पिरामल इंटरप्राइजेज को जारी करेगा जिसके बाद वह पिरामल समूह की कंपनी बन जाएगी।
बता दें कि डीएचएफएल ने लगभग ९० हजार करोड़ का डिफ़ॉल्ट किया था जिससे वित्तीय जगत को गहरा शॉक लगा था, उसे पैसे कर्ज पर देनेवाले कई सरकारी और प्राइवेट बैंक, इन्वेस्ट करनेवाले म्यूच्यूअल फण्ड , इन्सुरेंस कम्पनियां और व्यक्तिगत निवेशक जिन्होंने कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट किया था, सबके पैसे अटक गए थे।
डीएचएफएल देश की पहली गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनी है जिसे रिज़र्व बैंक ने २०१९ में इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड(आईबीसी) के तहत नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल भेजा।
आईबीसी के प्रावधान को तत्कालीन केंद्रीय अर्थमंत्री दिवंगत अरुण जेटली ने २०१६ में लाया था। जिसके तहत डिफ़ॉल्ट हो चुकी कम्पनियों के बकाया राशि वापस वसूलने के लिए अलग अलग नियम बनाये गए और दूसरी कंपनी जो डीफॉल्ट हो चुकी कम्पनी का कर्ज लेनदारों को चुकाकर अधिग्रहण करना चाहती हों उनके लिए रास्ते आसान किये गए।
जनवरी २०२१ में ९४% सभी बैंकों ने जिन्होंने डीएचएफएल को कर्ज दिया था, पिरामल समूह द्वारा बकाया चुकाने और डीएचएफएल का रिवर्स अधिग्रहण करने पर मंजूरी दे दी थी।
पिरामल समूह चेयरमैन अजय पिरामल की लीडरशिप में चलनेवाली एक अग्रणी औद्योगिक समूह है जिसके कई क्षेत्र में कारोबार हैं जिनमे रियल एस्टेट,वित्तीय गैर सरकारी कम्पनियां, फार्मा कम्पनी प्रमुख हैं। पिरामल समूह में लगभग २१ देशों के १० हजार से अधिक लोग कार्यरत हैं और यह समूह विश्व के ३० देशों में मौजूद है। कोरोना काल मे समाज के लिए १०० करोड़ की सहायता पीरामल समूह ने भी की है।
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