0 महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने संभाला केंद्रीय मंत्री पद तो दूसरी ओर पूर्व भाजपा नेता एकनाथ खडसे पर गिरी प्रवर्तन निदेशालय की गाज,कृपाशंकर ने भी लिया भाजपा में प्रवेश - Khabre Mumbai

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने संभाला केंद्रीय मंत्री पद तो दूसरी ओर पूर्व भाजपा नेता एकनाथ खडसे पर गिरी प्रवर्तन निदेशालय की गाज,कृपाशंकर ने भी लिया भाजपा में प्रवेश

परसों संपन्न हुई प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली एनडीए बेटी की सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया कैबिनेट स्तर पर 25 लोगों ने और स्वतंत्र प्रभार राज्य स्तरीय 28 लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली मंत्रिमंडल विस्तार में कई नए लोगों को जगह दी गई है वही कुछ पुराने लोग इस्तीफा देते भी नजर आए महाराष्ट्र में बड़े नेता रहे प्रकाश जावड़ेकर जो सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाए गए उद्योग मंत्रालय से संभाला उन्होंने हाईकमान के आदेश पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है रेलवे मंत्रालय पीयूष गोविंद जी के हाथ से निकल गया है और वैष्णव के हाथ में आ गया है वित्त मंत्रालय से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है से निर्मला सीतारमण जी ही संभालेंगे सबसे बड़ा फेरबदल मंत्रिमंडल में करते हुए इस बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने महाराष्ट्र के दिग्गज नेता नारायण राणे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया है अति सूक्ष्म सूक्ष्म लघु उद्योग मामलों का मंत्री बनाया गया है। नितिन गडकरी भी पहले यह मंत्रालय देख चुके हैं।

नारायण ततु राणे का राजनीतिक सफर
नारायण राणे ने राजनीतिक जीवन में शुरुआत महाराष्ट्र से की और अब केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर का पद मिला है शुरुआती दिनों में बाला साहब ठाकरे के आशीर्वाद से शिवसेना मैम का कद बढ़ता रहा एक वक्त ऐसा आया कि नारायण रानी को मनोहर जोशी के बाद महाराष्ट्र में 13 में मुख्यमंत्री के रूप में बिठाया गया।उस वक्त उनके डेप्युटी गोपीनाथ मुंडे थे। कार्यकाल लगभग ८ महीने ही चल सका । इसके अलावा नारायण राणे तीन बार रिवन्यू मिनिस्टर , तथा रोजगार, बंदरगाह, उद्योग, स्वरोजगार मामलों के भी मंत्री लगभग ४ वर्ष तक  महाराष्ट्र में रह चुके हैं। लगभग ९ महीने तक  फरवरी २००९ से नवम्बर २००९तक वह उद्योग मंत्री भी रहे।२०१६-१७में महाराष्ट्र के विधान परिषद सदस्य रहे।

कणकवली -कोंकण की भूमि से जाने जानेवाले नारायण राणे ने राजनीतिक जीवन मे कई उतार चढ़ाव देखे हैं।

२००५ के बाद शिवसेना छोड़कर  राणे ने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली थी। शिवसेना के आरंभ के समय मे ही १९६८से जुड़कर राणे ने राजनीति के गुर सीखे, बालासाहेब का आशीर्वाद रहा, मुख्यमंत्री भी बने।२००५में यह नाता टूट गया और कांग्रेस जॉइन किया।यहां २०१७ तक लगभग १२ साल कांग्रेस में रहे।

 हां, यह वही राणे हैं जो कांग्रेस में रहते हुए किसी भाजपाई को नही छोड़े थे।शब्दभेदी बाणों से मोदी से लेकर शीर्ष नेताओं पर कई बार तंज कसे, चुटकियां ली लेकिन एक कहावत है कि युध्द और प्यार में सब जायज है।राजनीति में युध्द और प्यार दोनों है। राजनीति में कोई किसी का न कायमतः शत्रु है और न ही मित्र।

 एक दौर वह आया जब नारायण राणे भाजपा में आना चाहते थे, भाजपा ले भी रही थी पर शिवसेना के विरोध के चलते भाजपा में एंट्री नही हुई। शिवसेना का स्टैंड था कि यदि भाजपा ने राणे को स्वीकार किया तो भाजपा से वह गठबंधन तोड़ देंगे।

 वैसे यह गठबंधन २०१९के विधानसभा में चुनाव में साथ लड़ने के बावजूद मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई के चलते टूट ही गया। भाजपा सर्वाधिक १०० से भी अधिक सीटें जीतने के बाद  भी महाराष्ट्र की सत्ता से दूर होकर विपक्ष में बैठ गई जबकि दूसरी ओर विरोधी विचार धारा की तीनों पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा ने महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन कर लिया जिसके सूत्रधारक राजनीति के चाणक्य कहे जानेवाले राकांपा प्रमुख शरद पवार हैं।

राज्य में विधानसभा चुनाव २०१९ के पहले  जब भाजपा ने सीधे सीधे राणे को प्रवेश नही दिया  तब नारायण राणे ने महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी बना ली। 2018 में पार्टी का विलय भाजपा में हो गया और राणे को भाजपा की सीट से राज्यसभा भेज दिया गया। राणे २०१९ में भाजपा के रंग में रंग गए।

३ सालों बाद अब मोदी कैबिनेट में राणे को अहम मंत्रालय मिला है।

माना यह जा रहा है कि राणे से भाजपा को आगामी चुनाव में फायदा होगा या नहीं ,यह कहना मुश्किल है पर शिवसेना को नुकसान जरूर हो सकता है। कोंकण क्षेत्र में राणे का वर्चस्व है।

     कृपाशंकर  सिंह बने भाजपाई
कृपाशंकर सिंह भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते हुए- (बाएं से: देवेंद्र फडणवीस, श्री सिंह, चंद्रकांत दादा पाटिल)

मुम्बई में भी काफी दिनों से भाजपा के कई कार्यक्रम में सक्रिय रहनेवाले महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री व कलीना- सांताक्रुज के विधायक रहे उत्त्तर भारत समाज के प्रमुख नेता कृपाशंकर सिंह  ने आधिकारिक तौर पर भाजपा में प्रवेश ले लिया है। 

कृपा भैया के मुम्बई महानगरपालिका चुनाव से कुछ महीनों पहले भाजपा में प्रवेश करना एक बड़ा संदेश देता है कि अबकी  बार मनपा चुनाव में उत्तरभारतीय समाज का रुझान किस पार्टी की ओर अधिक होगा और शिवसेना को इससे कितना नुकसान हो सकता है। 

पूर्व में कांग्रेस के वफादार रहे और अध्यक्षा सोनिया गांधी के विश्वस्त रहे कृपा  भैया का मोहभंग तो पहले ही हो गया था, और भाजपा के पूर्व  राज्य मुख्यमंत्री फडणवीस ,प्रदेश उपाध्यक्ष प्रसाद लाड़, आशीष सेलार, राज्य अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल के संपर्क में होने, कई बार हुई मुलाकातों को सिर्फ औपचारिक बताया जाना इस बात की ओर इशारा कर रहे थे कि उनका भाजपा में आना तय है।  कृपा भैया २००८ से २०१२ तक मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं, इसलिए मुम्बई की राजनीति में वह अहम माने जाते हैं, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।

एकनाथ खड़से पर सख्त प्रवर्तन निदेशालय

आरोप यह है कि जब खडसे महाराष्ट्र में २०१९ से पहले भाजपा सरकार में राजस्व मंत्री थे, तब उनके परिवार ने पुणे के भोसरी एम आई डी सी में सरकारी जमीन ३.७५ करोड़ में खरीदी जबकि बाजार भाव ३१करोड़ के लगभग थी।
ईडी का मानना है कि १० गुना कम दाम में जमीन हथियाने में तत्कालीन राजस्व मंत्री खडसे किहम भूमिका थी। 

         एकनाथ  खडसे का पक्ष
खडसे का कहना है कि ई डी के आरोप निराधार हैं,वह जमीन सरकारी नही है।खडसे के दामाद गिरीश चौधरी ने जमीन के निजी मालिक से जमीन खरीदी है।खडसे का मानना है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, वह मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, इसलिए तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह कुचक्र रचा है ताकि खडसे परिवार की छवि धूमिल हो सके।
इस मामले में  तथाकथित मुख्य आरोपी यानी दामाद गिरीश चौधरी को निदेशालय बुधवार को  ही गिरफ्तार कर चुकी है।



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