पूर्व उत्तर प्रदेश ग्रामीण विकास मंत्री पारसनाथ यादव का जौनपुर में आज 71 वर्ष की उम्र में निधन, कैंसर से थे पीड़ित/पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव होंगे अंत्येष्टि में शामिल
पारसनाथ यादव, जौनपुर के मल्हनी से विधायक रहे हैं।आज कैंसर से लड़ते लड़ते उनके प्राण पखेरू उड़ गए।
वह हाल ही में कुछ समय पूर्व ही मुम्बई के कोकिलाबेन अस्पताल से इलाज कराकर घर लौटे थे।जौनपुर के टी डी कॉलेज के निकट स्थित उनके निवास पर समाजवादी पार्टी ,क्षेत्रीय नेता और कई हस्तियों का तांता लगना शुरू हो चुका है।
ओलंदगंज की तरफ जानेवाली सड़क बंद कर दी गई है।
कैंसर के चलते पारस नाथ का दायां पैर भी सूज गया था, वह कई वर्ष से इस समस्या से लड़ रहे थें। ब्लड कैंसर के चलते उन्हें पैर में सूजन का बने रहना, उरीनाशन यानी पेशाब की समस्या बनी हुई थी। वह मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में इलाज करा रहे थे ,कोरोना महामारी के चलते कुछ दिन पहले वह जौनपुर निवास लौट आये थे। आज तकरीबन पौने 1(१२:४५) बजे दोपहर में आखिरी सांस ली।
पारसनाथ बरसठी से पहली बार जिला पंचायत का चुनाव जीते और यही से इनका राजनीतिक जीवन आगे बढ़ा।
वह नेताजी के साथ तब आये जब जनता पार्टी से टूटकर समाजवादी पार्टी बनी थी। जब भी यूपी में सपा की सरकार बनी, पारसनाथ कैबिनेट मंत्री जरूर बने, यह इनका इस पार्टी में दबदबा और इनकी लोकप्रियता रही।
2017 के चुनाव में इन्होंने हमारा दल से बाहुबली धनंजय सिंह ,भाजपा के सतीश सिंह व बसपा के विवेक यादव को हराया था। इस चुनाव मे 69351 मत लेकर विजयी हुए जबकि सबसे करीबी मत पानेवाले धनंजय सिंह को सिर्फ 48141 मत ही मिले थे। इसी से पारसनाथ की लोकप्रियता का अंदाज लगाया जा सकता है।
मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट किया," पारसनाथ यादव, पूर्व केबिनेट मंत्री के निधन से स्तब्ध और दुखी हूं। यह समाजवादी आंदोलन और मेरी व्यक्तिगत क्षति है।"
पारसनाथ की पत्नी हीरावती देवी का हार्ट अटैक से लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में 65 वर्ष की आयु में पहले ही निधन हो चुका है। बड़े बेटे लकी यादव राजनीति में सक्रिय हैं।
पारस के नाम 3 बार राज्य में मंत्री, 2 बार सांसद, 7 बार विधायक होने का रिकॉर्ड रहा है। मुलायम सिंह यादव के करीबी होने के नाते उन्हें पूर्वांचल के मिनी मुख्यमंत्री भी माना जाता था। समाजवादी पार्टी में उनका कद बड़े नेताओं में गिना जाता था। पारसनाथ अपने पीछे तीन पुत्र छोड़ गए हैं।
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