मुंबई 50,000 के पार ।निजी दफ्तर 10% स्टाफ के साथ खोले गए। मुंबई बीएसटी बसों में उमड़ी भारी भीड़ -कई जगह तोड़े गए नियम/ महाराष्ट्र में 87 हजार से अधिक मामले आए।
कल सोमवार से मुम्बई प्राइवेट आफिस, कम्पनियों, निजी दुकानों आदि के लिए पूरी तरह खुल चुकी है।
राज्य सरकार ने 8 जून से निजी दफ्तरों में 10 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम करने की मंजूरी दे दी है।जिसके लिए लोजिस्टिक्स सहायता स्वरूप बी ई एस टी और एस टी बसें चलाई जा रही है।
मनपा बसे पहले से ही लगभग 1700 बसें अत्यवश्यक सेवाएं ,मेडिकल की सेवा देने वालो के लिए चला रही है, कल से आम मुम्बईकरों के लिए उसने अपनी इस क्षमता को बढ़ाते हुए 2300 बसें चलाई है।
ये बसे लॉक डाउन से पहले 35 लाख लोगों को उनके दफ्तर पहुचा रही थी, कल से वह 5 लाख लोगों को यह सेवा देने में जुट गई हैं। लगभग 75 लाख लोग ट्रेन से आफिस जाया करते थे।अब संचारबन्दी के चलते ट्रेन बंद है, सिर्फ अत्यवश्यक सेवाएं देनेवाले सरकारी कर्मचारियों के लिए ही चलाई जा रही हैं।
कल सायन पनवेल महामार्ग, पूर्व द्रुतगति महामार्ग, बोरीवली से दादर आदि रास्ते बेहद यातायात से भरे रहे। बसों में हर सीट पर सिर्फ एक व्यक्ति और सिर्फ 5 व्यक्तियों के खड़े होकर यात्रा की इजाजत सरकार ने दी है लेकिन कल बहुत से जगहों पर ये नियम टूट गए।
कई बस स्टॉप पर लोग बस में चढ़ने के लिए लंबी लाइन में लगते दिखे, कई बस के अंदर धक्का मुक्की करते नजर आए, बसों में लोग हर सीट पर दो बैठे दिखे। कई बसों में कंडक्टर भी मास्क के बिना मिले। सरकारी नियम की धज्जियां उड़ी।
मुम्बई पुलिस हालांकि 55 वर्ष से अधिक और बीमारी से ग्रसित लोगों को भी ड्यूटी पर लाई ताकि हालात कंट्रोल में रहें।
ट्रेन बन्द होने से बसों पर बोझ बढ़ा है।
नालासोपारा के राम तिवारी बताते हैं कि वह कोटक बैंक में पर्सनल लोन विभाग में हैं, उन्हें विशेष लोन विभाग कार्यालय अंधेरी में आने के लिए कहा गया, नालासोपारा से जद्दोजहद करते हुए बस से वह किसी तरह 3 घंटे में अंधेरी पहुँच पाए। वह कल के इस अनुभव के बाद नौकरी छोड़ने की सोच चुके हैं।
बहुत से लोग वर्क फ्रॉम होम को बेहतर विकल्प मानते हैं। लेकिन सरकार द्वारा 10 प्रतिशत स्टाफ लेकर काम करने के नियम के चलते कम्पनियां अपने वर्कर पर दबाव बनाने लगी है।
बसों की इस हालत से सोशल डिस्टनसिंग का नियम तो टूट ही रहा है, ऊपर से अब शहर में कही भी आने जाने के लिए किसी पास, किसी हेल्थ प्रमाणपत्र की आवश्यकता नही, जिससे समस्याएं और बढ़ रही है। जानकारों का मानना है कि यदि ऐसा ही चला तो मुम्बई में संक्रमण विकराल रूप ले सकता है।
कल 1300से अधिक मामले मुम्बई में वही राज्य में 2500 से अधिक नए मामले आए। औसतन 13 से 1400 मामले मुम्बई में पिछले कई हफ़्तों से आ रहे हैं, जो घट नही रहा है।सिर्फ मुम्बई महानगर में 50085 मरीज हो चुके हैं, 1700 से अधिक लोग मर चुके हैं, जबकि राज्य में 3 हजार से अधिक मार चुके हैं।
राज्य में 33 तो मुम्बई में 20 पुलिसकर्मी भी कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं।
पिछले महीने से चली श्रमिक ट्रेनों से लगभग 40 लाख मजदूर अपने गंतव्य तक पहुचाये जा चुके हैं।
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